गुज़रा एक कब्रिस्तान
के पास से
देखा कितनी शांती है
अंदर गया
बहुत सी कब्रें थीं
कई कब्रों पर
कुछ इबारतें भी लिखी थीं
एक कब्र पर लिखा था...
"किसी को क्या इलज़ाम दूं दोस्तो...,
ज़िन्दगी में सताने वाले भी अपने थे,
और दफनाने वाले भी अपने थे"...
के पास से
देखा कितनी शांती है
अंदर गया
बहुत सी कब्रें थीं
कई कब्रों पर
कुछ इबारतें भी लिखी थीं
एक कब्र पर लिखा था...
"किसी को क्या इलज़ाम दूं दोस्तो...,
ज़िन्दगी में सताने वाले भी अपने थे,
और दफनाने वाले भी अपने थे"...
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